रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा समाजवादी पार्टी महानगर अध्यक्ष वीरेन्द्र यादव एडवोकेट के नेतृत्व में महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न, कानूनविद, विलक्षण प्रतिभावान, ईमानदारी, नैतिक आचरण, सादगी, सरलता की प्रतिमूर्ति महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती “सांप्रदायिक सद्भाव” दिवस के रूप में उल्लास पूर्वक आयोजित की गयी, कार्यक्रम की अध्यक्षता एस0 एन0 जायसवाल समाजसेवी ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, मुख्य वक्ता लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट संस्थापक/अध्यक्ष, समाजवादी विचारक राम दुलार यादव शिक्षाविद भी कार्यक्रम में शामिल रहे, सभी साथियों ने पंडित महामना मालवीय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण कर श्रद्धांजलि दे उनके प्रेरणा दायक व्यक्तित्व और कृतित्व को जन-जन में पहुँचाने और अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया कि हम देश, समाज में सद्भाव, भाईचारा, सहयोग की भावना पुष्पित-पल्वित हो लगातार प्रयास करते रहेंगे तथा जातिवादी, वर्चस्ववादी, सांप्रदायिक ताकतों को हतोत्साहित करते रहेंगे, कार्यक्रम को जगन्नाथ प्रसाद, राम प्यारे यादव, नागेन्द्र मौर्य ने भी संबोधित किया, ताहिर अली ने ज्ञानपीठ सन्देश “लोक को शिक्षित करने का अभियान चलाना है” परिवर्तन लाना है भईया परिवर्तन लाना है, प्रस्तुत किया, राजेन्द्र सिंह, हुकुम सिंह ने देश-प्रेम का गीत सुना सभी की आँखें नम कर दीं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए समाजवादी विचारक, शिक्षाविद राम दुलार यादव ने मालवीय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि साधारण परिवार में जन्मे, आप ने अपनी प्रतिभा, नैतिकता, ईमानदारी, सादगी और सरलता से असाधारण काम किया, पत्रकारिता, वकालत और ओजस्वी वक्ता के रूप में उनकी ख्याति पूरे देश में फ़ैल गयी, चौरी-चौरा में क्रन्तिकारी देश-भक्तों द्वारा थाने में आग लगा देने के कारण 22 सिपाही आग में झुलस मरे, 171 को फांसी की सजा हुई, कानूनविद मालवीय ने उच्च न्यायलय से 150 को बरी करा दिया, 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना कर लाखों छात्र-छात्राओं को दश की सेवा में लगाने का पुनीत कार्य किया, 1931 में मालवीय जी महात्मा गाँधी के साथ इंग्लैंड गये और भारत लौटने पर उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, महात्मा गाँधी ने कहा था कि वह धर्म का पालन अत्यंत नैतिक आचरण से करते थे, लेकिन दूसरे सभी धर्मों का सम्मान करते थे, उनमे अहंकार, द्वेष लेश मात्र भी नहीं था, लेकिन आज देश में नफ़रत, असहिष्णुता, अहंकार, ईर्ष्या का वातावरण बनाया जा रहा है, डर और भय समाज में व्याप्त है, इस स्थिति को सद्भाव, प्रेम और भाईचारे से ही नियंत्रित की जा सकती है।
श्री यादव ने बताया कि ब्रिटिश सांसद कर्नल वेजवुड यह बात उनके सम्मान में कहा था “पूरा यूरोप जानता है कि पंडित मदन मोहन मालवीय का शिक्षा जगत ऋणी रहेगा, विश्व में दूसरा कोई शिक्षा संस्थान नहीं है जो मुख्यत: एक महान व्यक्ति की कृति है”| 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में भी उनकी मत्वपूर्ण भूमिका रही, लेकिन आजादी के 78 वर्ष बाद भी हम उन महापुरुषों के सपनों का भारत नहीं बना पाये, जिन्होंने अपने बलिदान और त्याग, तपस्या से भारत को आजादी दिलवायी, आज 65 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, 82 हजार के करीब स्कूल बंद हो गये या दूसरे में कुछ समाहित कर दिये गये, कमजोर वर्ग का बच्चा शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात की यह भयावह स्थिति है, चारों तरफ संसाधनों की लूट हो रही है, झूठ, निर्लज्जता पूर्वक बोलकर डर और आतंक फैलाया जा रहा है, यह देश के विकास में बाधक है, हमें मालवीय जी के सपनों का भारत बनाने के लिए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरुरत है।
जयंती समारोह में पुष्प अर्पित करने वाले प्रमुख रहे, राम दुलार यादव, एस0 एन0 जायसवाल, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, वीर सिंह सैन, जगन्नाथ प्रसाद, नागेन्द्र प्रसाद मौर्य, मैनपाल नागर, हाजी मोहम्मद सलाम, ब्रह्म प्रकाश, चुन्नीलाल चौरसिया, मुनीव यादव, अमृतलाल चौरसिया, हरेन्द्र यादव, राजेन्द्र सिंह, विजय भाटी, हुकुम सिंह, ताहिर अली, दिलीप यादव, चिंतामणि यादव, राम प्यारे यादव, फूलचन्द पटेल, रोहित, प्रेम चन्द पटेल, हरिकृष्ण यादव, अमर बहादुर, विकास, उदय प्रताप आदि।