क्षमा वाणी पर्व से जीवन में शांति के द्वार खुल जाते हैंः प्रद्युम्मन जैन





रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- वीर दिगंबर जैन मंदिर संजय नगर व जैन मिलन गाजियाबाद के कोषाध्यक्ष तथा  अन्तरप्पा अर्हं ध्यान योग प्रद्युम्मन जैन ने कहा कि प्रत्येक वर्ष एक ऐसा पर्व आता है, जिसे दिल से मनाने से जीवन में खुशी व प्रसन्नता आती है। इस पर्व को मनाने से शांति के द्वार खुल जाते हैं। इस पर्व को मनाने से परिवार, समाज देश व विश्व में आपसी स्नेह व भाईचारा बढता है और आपसी सम्बंध प्रगाढ होते हैं। यह पर्व और कोई नहीं क्षमावाणी पर्व है। क्षमावाणी पर्व जैन समाज के सभी अनुयायी बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस पर्व पर छोटे-बडे का भेद मिटाकर वर्ष भर जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगी जाती है और क्षमा प्रदान की जाती है। 

यह पर्व मन के सभी गिले-शिकवे मिटाकर हमें दूसरों के प्रति अधिक नम्र और दयालु बनाता है। प्रद्युम्मन जैन ने सभी लोगों  क्षमावाणी पर्व पर अपने मन से सभी गिले-शिकवों को दूर करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगने और क्षमा प्रदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमारे ऐसा करने मात्र से ही हम अहंकार मुक्त हो जाएंगे और हमारा मन निर्मल हो जाएगा। सभी के प्रति करूणा, नम्रता, सरलता व विनम्रता का भाव हमारे अंदर पैदा होगा जिससे जीवन में नया उत्साह व जोश पैदा होगा जो ना सिर्फ हमें सफलता दिलाएगा, वरन हमारे जीवन को सुखमय, आनंदमय व खुशहाल भी बना देगा। 

क्षमावाणी पर्व ऐसा अवसर है, जो हमें साधारण से खास बनाता है और समाज में मान-सम्मान दिलाता है। अतः अपने सभी गिले-शिकवे व द्वेष भाव को दूर करते हुए जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए खुद भी क्षमा मांगे और दूसरों को भी क्षमा प्रदान करें।

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