नई दिल्ली के प्राचीन जैन लाल मंदिर में मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ




रिपोर्ट :- अजय रावत 

नई दिल्ली :- लाल किले के सामने स्थित नई दिल्ली के प्राचीन जैन लाल मंदिर में मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज के मार्गदर्शन में दो दिवसीय तृतीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जैन तीर्थंकर ज्ञान परिषद एवं अर्हं विद्या जैन शोध संस्थान, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा द्वारा ंआयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से लोग शामिल हुए। संगोष्ठी का विषय “जैन धर्मः संस्कृति, कला एवं स्थापत्य” रहा। मुख्य अतिथि रीवा विश्वविद्यालय के कुलगुरू राजेंद्र कुररिया तथा विशिष्ट अतिथि शिवाकांत बाजपेयी, अधीक्षण पुरातत्व, ए.एस.आई., जबलपुर वृत्त रहे। 

संगोष्ठी में वर्ष 2023 एवं 2024 में सतना एवं जबलपुर में आयोजित संगोष्ठियों में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों को संकलित कर पुस्तक “भारतीय ज्ञान परम्परा एवं जैन धर्म” का विमोचन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य जैन ज्ञान परम्परा में जैन धर्म के योगदान की चर्चा की गई। आयोजकों ने बताया कि संठोष्ठी का उददेश्य इतिहास के अंधकार में छिपे ऐसे तथ्यं जिन्हें न विद्वान जानते हैं और न ही आमजन, उन्हें प्रकाश में लाकर जैन धर्म की समृद्ध परम्परा को उजागर कर इतिहास को समृद्ध बनाना तथा जैन धर्म को इतिहास में उसका उचित स्थान दिलाना है।  

युवा प्रश्न मंच का आयोजन भी किया गया, जिसमें मुनिश्री ने नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को जैन मुनि चर्या एवं जैन सिद्धांतों से अवगत कराया।  साथ ही उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया गया। संगोष्ठी का संचालन डा. रंजना जैन (जबलपुर) एवं प्रो. महेश श्रीवास्तव (रीवा) द्वारा किया गया।

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