विशाल वाणी.....✍🏻
गाजियाबाद :- विधान परिषद सत्र में दिनेश कुमार गोयल व विजय बहादुर पाठक सदस्य विधान परिषद द्वारा प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने में प्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य स्वच्छता अभियान गतिमान है। प्रदेश के स्कूल कालेज में फैली गंदगी एक गम्भीर समस्या है। जिसके कारण शिक्षारत छात्रों के स्वास्थ्य और पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता है। स्कूल कालेजों के शौचालयों में समुचित सफाई न होने के कारण स्थिति गम्भीर है। प्रदेश के कई स्थानों पर शौचालयों में पानी साबुन तक के सामान्य चीजों का अभाव रहता है।
राजधानी लखनऊ में तो कई कालेज के छात्र-छात्राएं बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहे है। कहीं शौचालयों में दरवाजें नहीं है तो कही खिड़कियों में शीशे नहीं है। ऐसी स्थिति में छात्रायें शौचालय का इस्तेमाल करने से कतराती हैं। राजधानी के आई०टी० गुरूनानक गर्ल्स पी०जी० कालेजों समेत एक दर्जन कालेजों के शौचालयों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है। यह स्थित राज्य के कई विद्यालय जानकारी में है, गाजियाबाद, आजमगढ़, बरेली, जौनपुर और पीलीभीत जैसे जनपद उदाहरण हैं। हालात यह है कि शैनेट्री नैपकीन शहर के अधिकांश महिला विद्यालयों में नहीं है। कुछ स्थान जहां मशीनें लगी थी वो भी हटा दी गयी है।
इसलिए लोक महत्व के इस तात्कालिक अविलम्बनीय विषय को ध्यान में रखते हुए राज्य में विद्यलाय-महाविद्यालयों में अभियान चलाकर शौचालय विशेषकर महिला शौचालय ठीक कराये जायें और विद्यालयों में यथा सम्भव शैनेट्री नैपकीन की व्यवस्था सुनिश्चित कराये जाने हेतु मांग की।
साथ ही राज्य में स्वाथ्य सेवाये को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व की सरकार में जितना सुधार और सहूलियत हो रहा है। उसको लेकर सर्वत्र सराहना भी हो रही है किन्तु फर्जीवाडा करने वाले लोग लगातार उसमें रास्ते खोजने का काम कर रहे है।
जहां एक ओर सरकार शिकायतों को लेकर संजीदा है और त्वरित कार्यवाही में मांनदण्ड स्थापित कर रही है प्रदेश में जगह जगह शिकायतों पर निजी अस्पतालो पर सरकार अर्यवाई की उन अस्पतालों को बंद कराया, और लाइसेंस भी निरस्त कर दिवा किन्तु कुछ लोगा ने बाद में नाम चलकर नये सिरे से अस्पताल का संचालन शुरू कर दिये व्यवस्था यह है कि नये अस्पतालों के पंजीकरण में स्थलीय निरीक्षण अनिवार्य है सभी मानक पूरा होने पर लाईसेंस जारी होता है। किन्तु फिर भी जिन अस्पतालों को सरकार ने बंद करने के निर्देश दिये है फिर उसी स्थान पर नये अस्पताल कैसे शुरू हो रहे है।
राजधानी लखनऊ समेत राज्य के अलग-अलग जनपदों में इस तरह की जानकारया मिली है कि जो अस्पताल बंद किये गये थे उन्ही स्थानों पर नये नामों स अत्यताल संचालित हो रहे हैं. स्वास्थ्य एक संवेदन शील विषय है स्वास्थ्य सेवायें कै प्रति मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री पूरी तौर पर संजीदा है। फिर भी इस तरह के उदाहरण लापरवाही विभागीय खगोशी निगरानी शुन्यता के कारण उत्पन्न है. इसी तरह की विशेष परिस्थिति होने पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़े होने की स्थिति उत्पन्न करते हैं। बंद अस्पतालों को पुनः अवैधानिक तरीके से चलाये जाने पर जन आक्रोशित है। इसपर कार्यवाही की मांग की।