“कर्मचारियों को मिले सुविधाएँ — यह उद्योग मालिकों की जिम्मेदारी”: ‘श्रमेव जयते’ राष्ट्रीय सम्मेलन में गूंजा संदेश




रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- इंडियन काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट (ICIM) ने चेयरमैन सत्येन्द्र सिंह और डायरेक्टर अंशुमान सिंह के नेतृत्व में सेक्टर-18 स्थित होटल में “श्रमेव जयते – न्यू लेबर कोड्स सेमिनार” का राष्ट्रीय सम्मेलन भव्य रूप से आयोजित किया। सेमिनार का उद्देश्य उद्योग मालिकों, HR प्रमुखों, कानूनी विशेषज्ञों और अनुपालन अधिकारियों को नए श्रम सुधारों की दिशा, प्रभाव और क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी प्रदान करना था।

मुख्य अतिथि ने दिया स्पष्ट संदेश – “कर्मचारियों की सुविधाएँ सर्वोच्च प्राथमिकता”
कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा और उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एम.के. शन्मुग सुन्दरम द्वारा किया गया। अपने संबोधन में डॉ. शन्मुग सुन्दरम ने कहा कि नए श्रम कानूनों का मूल उद्देश्य कर्मचारियों को सुरक्षा, समय पर वेतन, बेहतर सुविधाएँ और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, और इसका पालन सुनिश्चित करना उद्योग मालिकों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि—
“कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना और उन्हें ईएसआई व सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना अनिवार्य है। नए कोड्स के तहत पारदर्शिता और दस्तावेजीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे।”

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार श्रम कानूनों को सरल बनाने, एकीकृत लाइसेंसिंग प्रणाली और तेज़ अनुमोदन व्यवस्था लाने की दिशा में कार्य कर रही है, जिससे उद्योगों को अधिक सुविधाएँ मिलेंगी।

250 से अधिक उद्योग प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने सम्मेलन को बनाया ऐतिहासिक
राष्ट्रीय सम्मेलन में दिल्ली–एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और देश के विभिन्न राज्यों से 250 से अधिक उद्योगपति, HR प्रमुख, अनुपालन विशेषज्ञ और कानूनी सलाहकार शामिल हुए।
विशेष रूप से उपस्थित सरकारी अधिकारियों में शामिल थे—
राकेश द्विवेदी (DLC, नोएडा)
बृजेश सिंह (DDF, नोएडा)
अनुराग मिश्रा (DLC, गाज़ियाबाद)
आलोक सिंह (DDF, गाज़ियाबाद)
रविन्द्र सिंह (DDF, मेरठ)
पंकज राणा (DLC, UPSSB)

इनकी उपस्थिति ने उद्योग और शासन के बीच सहयोग और संवाद को और मजबूत किया।

चारों लेबर कोड्स पर विस्तृत विशेषज्ञ व्याख्यान
सेमिनार में भारत के प्रख्यात श्रम-विशेषज्ञों ने तकनीकी और व्यावहारिक सत्र प्रस्तुत किए—
एडवोकेट सुधीर कुमार गुप्ता – सोशल सिक्योरिटी कोड एवं OHS कोड
एडवोकेट गोविंदराजु एन.एस. – वेज कोड 2019 एवं 50% CTC वेतन संरचना
एडवोकेट यजत कुमार – इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 एवं श्रम विवाद प्रणाली

उन्होने विस्तार से समझाया कि नए कोड्स कैसे कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करते हैं और उद्योगों के लिए कौन–कौन से नए अनुपालन दायित्व अनिवार्य होंगे।

ICIM चेयरमैन सत्येन्द्र सिंह का वक्तव्य – “नए कोड्स श्रमिकों के जीवन में सम्मान और सुरक्षा जोड़ेंगे”

अपने संबोधन में ICIM चेयरमैन सत्येन्द्र सिंह ने कहा—
“नए श्रम संहिताएँ केवल कानून नहीं, बल्कि देश के हर श्रमिक के सम्मानित जीवनयापन का संकल्प हैं। हमारा उद्देश्य उद्योगों को सही दिशा देकर यह सुनिश्चित करना है कि हर कर्मचारी को उसका हक, सुरक्षा और सुविधाएँ समय पर मिलें।”

उन्होंने यह भी कहा कि ICIM आने वाले समय में पूरे देश में जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण सत्र और अनुपालन सहायता जारी रखेगा ताकि उद्योग बिना भ्रम के नए कानूनों के साथ आगे बढ़ सकें।


सरल अनुपालन और पारदर्शिता—सरकार की प्राथमिकता
डॉ. शन्मुग सुन्दरम ने यह भी कहा कि सरकार उद्योगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए “सिंगल विंडो सिस्टम”, ऑनलाइन लाइसेंसिंग और त्वरित समाधान जैसी नीतियाँ लागू कर रही है। उन्होंने बताया कि नई प्रणाली में अनावश्यक निरीक्षण नहीं होंगे और एक ही प्लेटफ़ॉर्म से सभी अनुमतियाँ प्राप्त की जा सकेंगी।
उन्होंने कहा—
“नई प्रणाली में उद्योगों को सुविधाएँ बढ़ाई जाएँगी, न कि जटिलताएँ।”


सेमिनार के प्रमुख लाभ

प्रतिभागियों ने सेमिनार में—
अनुपालन टाइमलाइन
वेतन संरचना में बदलाव
कर्मचारियों को ESI/PF में लाने के तरीके
कानूनी जिम्मेदारियाँ
केस स्टडी आधारित समाधान
उद्योग–सरकार संयुक्त संवाद

जैसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं।

HR नेतृत्व ने कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए अत्यंत उपयोगी रहा और इससे श्रम सुधारों के क्रियान्वयन में सहूलियत मिलेगी।

सफल आयोजन—LegalIPL और Utthan Samiti की प्रमुख भूमिका

यह राष्ट्रीय सम्मेलन LegalIPL और Utthan Samiti के संयुक्त सहयोग से आयोजित किया गया, जिनकी टीमों ने कार्यक्रम की योजना, समन्वय और संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

ICIM का संकल्प

सेमिनार की सफलता के साथ ICIM ने दोहराया कि वह उद्योगों को—
निरंतर जागरूकता कार्यक्रम
सामाजिक सुरक्षा प्रशिक्षण
अनुपालन सहायता
विधिक परामर्श
क्षमता निर्माण कार्यक्रम

के माध्यम से आगे भी मार्गदर्शन देता रहेगा, ताकि भारत के श्रम सुधार केवल कानून न बनें, बल्कि उद्योग और श्रमिकों दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध हों।

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