◼️अवेकिनिंग इंडिया फाउंडेशन का प्रयास, के.डी.बी. पब्लिक स्कूल में बच्चों को दी गई रेबीज और टीबी से बचाव की जानकारी
रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “टीबी मुक्त भारत अभियान” के अंतर्गत अवेकिनिंग इंडिया फाउंडेशन द्वारा के.डी.बी. पब्लिक स्कूल, कवि नगर में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों और शिक्षकों को तपेदिक (टीबी) एवं रेबीज जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूक करना और बचाव के उपायों की जानकारी देना था।
कार्यक्रम में अवेकिनिंग इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बी.पी. त्यागी ने किया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि टीबी और रेबीज दोनों ही ऐसी बीमारियाँ हैं जिनसे समय पर सावधानी, स्वच्छता और टीकाकरण के माध्यम से पूरी तरह बचाव किया जा सकता है। डॉ. त्यागी ने बच्चों को रेबीज से बचाव के उपायों, संक्रमित जानवरों से सतर्क रहने और समय पर वैक्सीन लगवाने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत “टीबी मुक्त भारत 2025” की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और हर नागरिक की भागीदारी इस मिशन की सफलता की कुंजी है।
विद्यालय प्रशासन ने अवेकिनिंग इंडिया फाउंडेशन के इस सामाजिक जागरूकता अभियान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाते हैं। उन्होंने डॉ. त्यागी के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि जागरूकता ही रोगों से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।
भारत का क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन अभियान — टीबी मुक्त भारत 2025
भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) का लक्ष्य वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है। यह कार्यक्रम चार स्तंभों — पता लगाना, उपचार, रोकथाम और निर्माण — पर आधारित है। इस अभियान के तहत टीबी रोगियों को मुफ्त जांच, दवाइयाँ और पोषण सहायता उपलब्ध कराई जाती है। “निक्षय पोषण योजना” के माध्यम से रोगियों को पौष्टिक आहार और सहायता प्रदान की जाती है, वहीं “निक्षय मित्र पहल” के जरिए समाज, संस्थाओं और उद्योगों को भी टीबी रोगियों की मदद के लिए जोड़ा गया है। शीघ्र निदान के लिए “स्पुटम स्मीयर माइक्रोस्कोपी” जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ताकि हर रोगी को समय पर उपचार मिल सके।
डॉ नियति धवन फाउंडर अवेकिनिंग इंडिया फाउंडेशन ने कहा कि यह प्रयास न केवल प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को भी नई दिशा देता है।