शादियों में धड़ल्ले से चल रही आतिशबाज़ी, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना: डॉ बीपी त्यागी


◼️ईएनटी सर्जन डॉ. बी.पी. त्यागी ने जताई कड़ी आपत्ति, कहा- 'कानून का सम्मान हर नागरिक की जिम्मेदारी'



रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- शहर में शादी-ब्याह के सीज़न के साथ आतिशबाज़ी का धुआँ एक बार फिर आसमान पर छाया हुआ है, लेकिन इसके पीछे छिपी एक बड़ी लापरवाही भी उजागर हो रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध और दिशा-निर्देशों के बावजूद आम नागरिक खुलेआम आतिशबाज़ी कर रहे हैं। इसका न सिर्फ पर्यावरण पर प्रतिकूल असर हो रहा है, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की सीधी अवहेलना भी है।

प्रसिद्ध ईएनटी सर्जन और समाजसेवी डॉ. बी.पी. त्यागी ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल, सीमित समय और नियंत्रित ध्वनि-स्तर के नियम तय किए हैं। इसके बावजूद, लगातार हो रही आतिशबाजी कानून के प्रति एक गंभीर उपेक्षा है। अदालत द्वारा दिए गए दिशानिर्देश सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर इनका पालन बमुश्किल होता है।"

डॉ. त्यागी ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण (इंडोर प्रदूषण 2200से ऊपर)और धमाकों से न सिर्फ आम जनता, बल्कि बुजुर्गों, बीमारों और छोटे बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने प्रशासन और पुलिस से सख्त निगरानी रखने तथा कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।

उन्होंने आगे कहा कानून सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए होते हैं। नागरिकों को समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करके हम सिर्फ अपराध नहीं कर रहे, बल्कि अपने ही परिवेश को प्रदूषित कर रहे हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में पटाखों के उपयोग को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनके तहत सिर्फ 'ग्रीन क्रैकर्स' को अनुमति दी गई थी, और वह भी निश्चित समय और क्षमता के साथ। परंतु देखने में आता है कि अधिकांश जगहों पर इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है।

शादी समारोहों में अनियंत्रित आतिशबाज़ी के मामलों में वृद्धि को देखते हुए डॉ. त्यागी ने जनजागरूकता बढ़ाने और स्थानीय प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई करने का आह्वान किया।

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