रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- फर्जी आईपीएस अधिकारी अनिल कटियाल और उसके साथी विनोद कपूर से पूछताछ में पुलिस को चौंकाने वाली जानकारी मिली। अनिल कटियाल को असली आईपीएस मानकर अफसर उसके आदेश का पालन करते रहे। अफसरों की आंखों में धूल झोंककर उसने इस तरह कई बड़े काम करा लिए।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिनेश कुमार पी. ने बताया कि अनिल कटियाल के पिता चेतराम कटियाल आईआरएस अधिकारी रहे हैं। वह जीके फर्स्ट न्यू दिल्ली और विनोद डीएलएफ फेस-3 गुरुग्राम का रहने वाला है। पुलिस ने अनिल और विनोद को गिरफ्तार करने के बाद लंबी पूछताछ की। कटियाल ने बताया कि वह कभी आईपीएस तो कभी रिटायर्ड आईपीएस बताकर अफसरों से मिलता है। उसने एक नामी कंपनी के लिए बार का लाइसेंस जारी करा लिया। इसके लिए आबकारी के अफसरों पर दबाव बनाया था।
वह खुद को विदेश मंत्री का सहपाठी बताता था। इस तरह विदेश मंत्रालय से जुड़े दफ्तरों में पैंठ बना ली। उसने कई रिटायर्ड अफसरों के नाम याद कर रखे हैं। उनके बारे में काफी जानकारी जुटा रखी है। अफसरों से मिलते वक्त इस जानकारी का इस्तेमाल करता था। इससे अफसर समझते थे कि वह सच बोल रहा है और वास्तव में रिटायर्ड आईपीएस है। विनोद कपूर कंसट्रक्शन का बड़ा कारोबारी है। कई एयरपोर्ट के निर्माण में भी उसने काम किया।
विनोद कपूर को काफी दिन पहले पुलिस ने गुरुग्राम से हिरासत में लिया था। वह हवालात में भी बंद रहा। विनोद कपूर ने इसकी शिकायत अधिकारियों की। कहा कि उनको हिरासत में लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जांच कराई गई तो पता चला कि निरीक्षक कुलदीप कुमार, एसएसआई प्रमोद हुड्डा ने संबंधित थाने की पुलिस से कोई संपर्क नहीं साधा। न ही उनको इसकी सूचना दी। इसी लापरवाही के लिए दोनों को निलंबित किया गया।
इसलिए गहराया शक : पुलिस आयुक्त अजय मिश्र ने भी अनिल कटियाल को वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते पहले सम्मान दिया। जब वह जाने लगा तो उसने आयुक्त के साथ फोटो खिंचवाने के लिए कहा। इसके बाद उनको शक हो गया। पुलिस आयुक्त कार्यालय से जब अनिल कटियाल को फोन किया गया और बैच आदि के बारे में पूछा गया तो कभी खुद को दस साल पहले रिटायर्ड बताया तो कभी 20 साल बाद नौकरी छोड़ने की बात कहने लगा। तब पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर उसे और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया।
बड़ी कंपनियों में अहम पदों पर रहा
कोटियाल की शुरुआती पढ़ाई सेंट कोलंबस व सेंट स्टीफंस स्कूल में हुई है। 1979 में उसने यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसमें वह असफल रहा। इसके बाद वह पीएचडी करने के लिए यूएसए की येल यूनिवर्सिटी चला गया। वहां से वह अगले साल लौट आया और हिंदुस्तान लीवर में प्रबंधक के पद पर नौकरी शुरू की। वर्ष 2000 से 2005 तक उसने यामाहा कंपनी में भी चीफ जनरल मैनेजर के पद पर काम किया। 2005 से 2015 तक उसने वोडाफोन में वाइस प्रेसीडेंट कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर भी काम किया। जिन लोगों ने अनिल कटियाल के साथ यूपीएससी की परीक्षा दी थी, उनमें से कई सफल हुए और अधिकारी बन गए। उनके वह संपर्क में रहा। पिता के अधिकारी होने का भी उसको फायदा मिला। इसी आधार पर वह अधिकारियों के नजदीक पहुंच जाता था और काम करा लेता था।
आत्मविश्वास देख अधिकारियों को हुआ विश्वास
हाय...निमिष कैसे हैं? मैं 1969 बैच का मणिपुर कैडर का आईपीएस अधिकारी अनिल कटियाल हूं। वर्तमान में गृह मंत्रालय में सलाहकार हूं। इंदिरापुरम पुलिस बड़ा परेशान कर रही है। हमारे मित्र विनोद कपूर को धोखाधड़ी के मामले में गलत तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया। वरिष्ठ अधिकारी समझकर डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने भी अनिल कटियाल व उनके साथ आए विनोद कपूर को सम्मान से बैठाया और पूरी बात ध्यान से सुनी।
करोड़ों के घोटाले के आरोपी को भारत लाने की लगा रहा था जुगत
विनोद से अनिल की मुलाकात गुरविंदर के माध्यम से हुई थी। गुरविंदर दुबई में ट्रेडिंग का काम करता है। उसी के जरिये वह दुबई के अरबपति रियल स्टेट कारोबारी राज साहनी के संपर्क में आ गया। राज साहनी व उसके बेटे करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में फंंसे हुए हैं। उनको दुबई से भारत लाने के लिए अनिल कटियाल अफसरों के चक्कर काट रहा था। राज साहनी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की पूर्व पत्नी का रिश्तेदार है। कटियाल ने बुधवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय में तैनात एसआई कृष्ण कुमार शर्मा व डीसीपी ट्रांस हिंडन के पीआरओ नीरज राठौर को फोन करके धमकाया था। इंदिरापुरम थाने में विनोद पर दर्ज धोखाधड़ी के मामले को खत्म कराने के लिए अनिल कटियाल ने कृष्ण कुमार शर्मा व नीरज राठौर पर दबाव बनाया। इसके बदले विनोद से मोटा पैसा तय कर लिया था।