रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- नेहनीड़ फाउंडेशन द्वारा संचालित अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षा सहायतार्थ सनातन धर्म मन्दिर गोल्फलिंक लेंडक्राफ्ट में चल रही हनुमत कथा में शुक्रवार को हनुमान जी की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन करते हुए कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने कहा माँ बच्चे को अपना दूध पिलाकर ह्रदय के संस्कारों का बीजारोपण करती है बचपन में दिए गये संस्कारो का बच्चे के सम्पूर्ण जीवन पर प्रभाव पड़ता है। बचपन में माताएं बच्चों को कहानियां सुना कर देश, धर्म, सेवा व संस्कृति से परिचय कराकर उससे जोड़ती है। साथ ही माताएं बच्चों को सुलाने के लिए लोरी सुनाकर प्रकृति से जोड़ती है और बच्चों का पुरूषार्थ जगाती हैं। आज हमें हनुमानजी में जो गुण दिखाई देते हैं वे अंजना माता द्वारा दिए गए संस्कार ही हैं। माँ के संस्कार ही बच्चों को महान बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि सूर्य ज्ञान के देवता हैं और हनुमान जी, गरुड़ व सम्पाती तीनों को बचपन में ज्ञान की भूख थी इसलिए तीनों ने ही सूर्य के निकट जाने के लिए उछाल ली पर केवल हनुमान जी ही पहुंचने में सफल हुए क्योंकि उनमें अभिमान रहित ज्ञान की भूख थी। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा हमें हनुमानजी को अपने जीवन में धारण करना चाहिए हम उनसे अपना सम्बंध जोड़ेंगे तो वे हमें सदमार्ग पर चलने को प्रेरित करेंगे | भक्ति पर बोलते हुए उन्होंने कहा जो भक्त हनुमान जी की भक्ति करते हैं उन्हें वे राम और राज दोनों दिलाते है इसलिए जीवन को सुखद बनाने का सबसे सरल साधन भक्ति है और भक्त मनुष्य जब सब छल कपट छोड़कर भगवान की शरणागती में आता है तो भगवान उसे अभयता प्रदान कर अपने ह्रदय से लगते हैं।
•• सारा संसार भगवान के वश में है और भगवान भक्त के वश में होते है। उडुपी में कनकदास को निम्न जाति का मानकर मन्दिर में प्रवेश नहीं दिया तो उसने आंसू बहाकर भगवान को पुकारा जिस कारण भगवान की मूर्ति ही घूम गयी आज जिस खिड़की से भगवान के दर्शन होते हैं उसे कनकदास की खिड़की कहते हैं। जैसे बाली ने मरते समय अपने पुत्र अंगद का हाथ राम जी के हाथ में सोंप कर अंगद को सनाथ कर दिया था हम भी अपनी युवा पीढ़ी में हनुमान जी का आदर्श स्थापित कर उन्हें हनुमानजी से जोड़ दें। आज 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को नई पीढ़ी के संस्कारों को बढ़ाने के लिए मोहल्ले के बच्चों को एकत्र कर महापुरुषों की कहानी सुननी चाहिए।
• गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास वीरबालकों से भरा हुआ है दशम गुरु श्रीगोविंद सिंह जी ने देश धर्म हित बचपन में अपने पिता को बलिदान के लिए प्रेरित किया स्वयं भी सँघर्ष करते रहे और उस परम्परा को निभाते हुए उनके चारों बच्चों ने जो बलिदान दिया वो कभी भुलाया नहीं जा सकता। कथा में मुख्य यजमान रविन्द्र बंसल एवं प्रभा बंसल के अतिरिक्त आज के यजमान अविनाश चंद्र एवं शशि अग्रवाल रहे। इस अवसर पर पार्षद पवन गौतम,नरेन्द्र गोयल,अमर कुमार जैन,अरविन्द मोदी,राजकुमार मंगल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।