रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- आर्यसमाज राजनगर का सात दिवसीय सामवेदीय महायज्ञ, भजनोपदेश तथा प्रवचन कार्यक्रम सोमवार को अग्निहोत्र के साथ शुरू हुआ। पहले दिन यज्ञ के अलावा भजन व प्रवचन भी हुए। प्रातःकालीन सत्र में जयपुर से पधारे आचार्य उषर्बुध के ब्रह्मत्व में यज्ञ में कन्या गुरुकुल सासनी की ब्रह्मचारिणियों ने सस्वर वेदपाठ किया। पं मोहित शास्त्री बिजनौर के आध्यात्म संबंधी भजन हुए। आचार्य उषर्बुध ने मानव जीवन में यज्ञ के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारे जीने के लिए बहुत कुछ प्रदान करती है, परंतु इस प्रकृति के पोषण तथा शोधन के लिए मानव क्या कर रहा है। अग्निहोत्र प्रकृति के लिए अत्यधिक लाभदायक व उपयोगी है।
अतः हमें अधिक से अधिक यज्ञ करना चाहिए। जनमानस को आध्यात्म, पुरातन भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता से परिचय कराने में यज्ञ का बहुत महत्व होता है। यज्ञ के यजमान ज्ञानेंद्र आत्रेय सपत्नीक रहे। ओउम् ध्वजारोहण शंभूदयाल दयानंद वैदिक संन्यास आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी सूर्यवेश ने किया। संचालन आर्य समाज के मंत्री सत्यवीर चौधरी ने किया। विशेष योगदान श्रद्धानंद आर्य, डॉ वीरेंद्र नाथ सरदाना, डॉ अशोक रस्तोगी, दुर्गा प्रसाद शास्त्री, नरेन्द्र पांचाल, सुरेश गर्ग, शंकर लाल शर्मा, ओमप्रकाश आर्य, सुभाष चन्द्र गुप्ता, श्रीमती कौशल गुप्ता, वंदना अरोरा, शिल्पा गर्ग आदि का रहा।