विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड के चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा त्रिदिवसीय नाड़ी एवं प्रकृति परीक्षा कार्यशाला का आयोजन




रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड के चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा त्रिदिवसीय नाड़ी एवं प्रकृति परीक्षा कार्यशाला का आयोजन 20 सितंबर से 22 दिसंबर 2025 तक श्री माधवानंद आश्रम हरिद्वार में संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में उत्तराखंड एवं अन्य प्रदेशों के आयुर्वेद महाविद्यालयों के विद्यार्थी, चिकित्सक एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

नाड़ी परीक्षा के विशेषज्ञ, पंचकर्म विशेषज्ञ एवं ज्योतिष आयुर्वेद के परम विद्वान प्रोफेसर के.शिवराम प्रसाद हैदराबाद से पधारे उन्होंने अपने अनुभव एवं प्रत्यक्ष ज्ञान को प्रतिभागियों के बीच साझा किया एवं नाड़ी परीक्षा का प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में अखिल भारतीय प्रकृति परीक्षणअभियान में महती भूमिका निभाने वाले रोग एवं विकृति विज्ञान विशेषज्ञ राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के रोग विकृति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार शर्मा ने प्रकृति परीक्षा पर व्याख्यान एवं प्रशिक्षण दिया. उन्होंने व्यक्ति व्यक्ति के अनुसार चिकित्सा की भिन्नता के लिए प्रकृति परीक्षा को आवश्यक बताया। उन्होंने व्यक्तिपरक चिकित्सा (personalised medicine) के महत्व को बताया। इस अवसर पर प्रोफेसर के एस आर प्रसाद द्वारा लिखित Ayurvedic pulse dignosis पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

इस कार्यशाला को प्रतिभागियों ने अतिउपयोगी बताया। नाड़ी एवं प्रकृति प्रशिक्षण कार्यशाला के संयोजक डॉ आशीष मिश्रा(प्रभारी चिकित्सक प्रकोष्ठ) ने बताया कि रोगी एवं रोग परीक्षा की यह विधियां आज के परिपेक्ष में बहुत प्रासंगिक हैं। काफी समय से विद्यार्थियों एवं चिकित्सकों का आग्रह था कि इस विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाए अतः यह आयोजन नाड़ी एवं प्रकृति के श्रेष्ठ विशेषज्ञ के द्वारा किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यशाला सफल रही है। प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम की बहुत प्रशंसा की है एवं भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता व्यक्त की है। कार्यक्रम के संचालन मे कार्यशाला के संयुक्त सचिव द्वय डा सुधीन्द्र शर्मा (प्रभारी चिकित्सक प्रकोष्ठ) एवं डा भावना मित्तल(प्रभारी महिला प्रकोष्ठ ) एवं  डा ज्योति शर्मा की प्रमुख भूमिका रही।

कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में पधारे परिषद के संरक्षक डा वाई एस मलिक ने उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड द्वारा आयोजित यह कार्यशाला चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों  की कार्य कुशलता में अभिवृद्धि करेगी. आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय मार्गदर्शक प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री ने परिषद की राष्ट्रीय गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। आयुर्वेद के प्रख्यात चिकित्सक डॉ अशोक शर्मा ने नाड़ी विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड के महासचिव डा विनीश गुप्ता एवं कोषाध्यक्ष डॉ अनुमेहा जोशी ने प्रतिभागियों को चिकित्सा में नाड़ी एवं प्रकृति परीक्षा के महत्त्व को बताया।

विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड द्वारा आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान एवं अनेक समाजसेवी संगठनों के माध्यम से समाज सेवा में महती भूमिका के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए डॉ यतेंद्र सिंह मलिक को लाइफटाइम अचीवमेंट (आजीवन उपलब्धि सम्मान) से सम्मानित किया गया।

आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड के प्रांत अध्यक्ष प्रोफेसर उत्तम कुमार शर्मा ने नाड़ी परीक्षा एवं प्रकृति परीक्षा पर आयोजित कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं उत्तराखंड में परिषद द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। विद्यार्थी प्रकोष्ठ की सह प्रभारी डॉ मनीषा दीक्षित ने विद्यार्थियों को कार्यशाला के उद्देश्य से परिचित कराया। कार्यशाला में हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज के शिक्षक डॉ महेश्वर एवं डॉ प्रियंका, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के डॉ गौरव शर्मा, अरोमा आयुर्वेद कॉलेज की डॉ स्तुति रावत का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।

कार्यशाला के समापन सत्र में विद्यार्थियों से फीडबैक लिया गया जिसमें विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा किये एवं कार्यशाला को अति उपयोगी बताया। इस सत्र में आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में तीन चिकित्सकों को आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भिषक शिरोमणि  सम्मान प्रदान किया गया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिसर के काय चिकित्सा के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार गोयल, गुरुकुल परिसर के शल्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ देवेश शुक्ला एवं प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ आशीष मिश्रा को भिषक शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय गुरुकुल परिसर के शरीर क्रिया विभाग के प्रोफेसर बालकृष्ण पवार को शिक्षक शिरोमणि सम्मान प्रदान किया गया। कार्यशाला में स्नातकोत्तर विद्यार्थियों डॉ प्रतिभा, डॉ रोशनी, डा मीनाक्षी, डा आंचल,डा विपुल,डा कोमल, डा नीलम, डा अर्चना एवं डॉ उत्कर्ष का सहयोग प्राप्त हुआ।

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