◼️साहित्य के सामाजिक सरोकार एवं चुनौतियां विषय पर हुई संगोष्ठी
विशाल वाणी.....✍🏻
गाजियाबाद :- कवि एवं शिक्षाविद् डॉ श्लेष गौतम (प्रयागराज) ने कहा कि साहित्यकार लोक चेतना का अग्रदूत होता है। साहित्य समाज को संवेदनशील एवं गतिशील रखता है। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान,लखनऊ द्वारा ग़ाज़ियाबाद के संगम सांस्कृतिक संस्थान के सांस्कृतिक सभागार में 'साहित्य के सामाजिक सरोकार और चुनौतियां' विषयक गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में विशेष वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य स्वस्थ मानस और सकारात्मक चेतना के निर्माण का संवाहक है। आज के दौर में साहित्य के सामने नैतिक मूल्यों की गिरावट अर्थ एवं समय की चुनौतियां हैं जिसको की एक साहित्यकार अपने सोच संकल्प और विचार की शक्ति से समृद्ध करते हुए समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ धनंजय सिंह जी ने कहा कि साहित्य सदैव से एक सकारात्मक सर्जनात्मक प्रतिरोध की भूमिका में रहता है। साहित्यकार सही को सही और ग़लत को गलत कहने से नहीं डरता और यही उसका युग धर्म भी है ताकि जो हमारे मानवीय मूल्य एवं संवेदनशीलता है वह अक्षुण्ण रहे और किसी भी तरह की असमानता अन्याय और दुर्व्यवस्था से एक साहित्यकार के संघर्ष की अविरल परंपरा रही है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष शायर एवं पत्रकार राज कौशिक ने साहित्य को वह मशाल बताया जो सदैव किसी भी तरह की नकारात्मकता या अंधेरे को चीरने का या हटाने का काम करती है और ये एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। सभी को अपनी आंखें खुली और चेतना को जागृत रखना होगा ताकि किसी भी तरह की अविवेकी अन्यायपूर्ण ग़लत स्थिति को सही ढंग से समझा जा सके और फिर उसको उचित तरीके से उससे निपटा भी जा सके। साहित्यकारों की भूमिका यह है कि वह राग द्वेष से परे रहकर निष्पक्षता के साथ समाज का उचित मार्गदर्शन करें जिससे कि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ सत्येंद्र ने कहा कि साहित्यकार समाज को दशा दिशा देता है अपने चिंतन मनन से और सही ग़लत का भाव बोध कराता है।तुलसीदास और सूरदास ने भी समाज को अपनी वैचारिकी से उत्तरदायित्व का बोध कराया। कवि एवं चिंतक अनिमेष शर्मा ने कहा कि दौर कोई भी हो साहित्य ने समाज को सही दिशा और उन्नत सोच से सींचा है।साहित्य आज भी सामाजिक चुनौतियों को अपनी रचनात्मकता से साधने का सतत् प्रयास करता है।
सर्वप्रथम अतिथियों एवं वक्ताओं द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तथा सरोज त्यागी द्वारा सरस्वती वंदना की गई। संस्था के महासचिव श्री अजय वीर सिंह द्वारा सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत एवं सम्मान किया गया। कार्यक्रम में वेद गुप्ता (सेवानिवृत्ति,भारतीय पुलिस सेवा), अरूण शर्मा (अधिवक्ता), नरेश सिरोही, अंकित माहेश्वरी, एस एल गोयल, एम एल शर्मा, कृष्ण वीर त्यागी, रामवीर गुप्ता, गुलशन भामरी, श्रीमती विमलेश चौधरी, श्रीमती मनोज त्यागी, सोनिया माहेश्वरी आदि की उपस्थिति रही।